स्कूलों में पढ़ाया जाए योग का पाठ
विश्व अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष
- स्कूलों में पाठ्यक्रम में शामिल हो योग, अलग से परीक्षा भी निर्धारित करें केन्द्र और राज्य सरकार: संयुक्त अभिभावक संघ
जस्ट टुडे
जयपुर। जिस प्रकार योग के बिना अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना बेकार है, वैसे ही शिक्षा के बिना देश का बेहतर भविष्य अधूरा है। यह कहना है संयुक्त अभिभावक संघ का। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संघ ने कहा कि कोरोना काल ने हमें योग की महत्ता का अहसास करा दिया है। ऐसे में शिक्षा वर्तमान परिस्थितियों में व्यापार का केन्द्र बनकर रह गई है। इसके लिए शिक्षाविदों को नए सिरे से सोचना होगा और मौजूदा शैक्षिक नीतियों में वर्तमान के हिसाब से संशोधन करना होगा। शिक्षा को एक नए आयाम पर ले जाने के लिए केन्द्र के साथ-साथ राज्यों को देश और शिक्षा की प्रगति के विशेष उपाय करने जरूरी हैं।
शिक्षा की महत्ता जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि देश की संस्कृति, सभ्यता और स्वास्थ्य के लिए योग की जितनी महत्ता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षा का भी बहुत महत्व है, योग को पढऩे, समझने और समझाने के लिए एक मात्र शिक्षा ही है, जो सबसे बेहतर संसाधन है और कम समय में जन-जन तक पहुंच सकती है। योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए शिक्षा और उसके संसाधनों को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
योग की अलग से आयोजित हो परीक्षा
प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि सिर्फ एक दिन योग करने और दिवस मनाने से लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं होगी। संयुक्त अभिभावक संघ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करता है कि इसकी शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए, ताकि बच्चों में यह आदत बन जाए। केन्द्र और राज्य सरकार योग को प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल कर, अलग से परीक्षा भी निर्धारित करे।
संघ प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने केन्द्र और राज्य सरकार से अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने और उसके महत्व शिक्षा के माध्यम से पहुंचाने के लिए योग को प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है।
युवा समझेंगे योग की महिमा
प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा का कहना है कि योग को समझने के लिए प्रतिदिन पढऩे की आवश्यकता है, अगर यह पाठ्यक्रम में शामिल होता है तो आने वाली पीढ़ी सदियों तक योग के महत्व को समझेंगी। शिक्षा विभाग द्वारा योग को बढ़ावा देने के लिए और बच्चों की इसमें सहभागिता जोडऩे के लिए योग प्रतियोगिताएं भी करवाई जाएं।
शिक्षा पद्धति को तराशने का वक्त
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि योग के चमत्कार को तो पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है, इसी वजह से दुनिया के अधिकांश देशों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब समय आ गया है कि हम भी अपनी शिक्षा पद्धति के बारे में पुनर्विचार करें और उसे नए सिरे से तराशें, क्योंकि हमारे पास अब दुनिया तक पहुंचने का ऐसा मौका है जो अब से पहले कभी नहीं था।