फीस वसूली के लिए निजी स्कूलों का अब 'खेला होबे'

- सीबीएसई और आरबीएसई बोर्ड ने 12 वीं छात्रों को लेकर प्रमोट करने की प्रक्रिया तय नहीं की, फिर भी निजी स्कूलों ने रखी प्री-बोर्ड परीक्षा


जस्ट टुडे
जयपुर।
निजी स्कूलों में फीस वसूली को लेकर तरह-तरह के हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं। बारहवीं कक्षा के बच्चों को प्रमोट करने के नाम पर इंटर्नल मार्किंग का खेल खेला जा रहा है और प्री-बोर्ड परीक्षा रखकर अभिभावकों पर फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि हकीकत में निजी स्कूलों ने दिसम्बर, जनवरी और फरवरी माह में ही इंटर्नल मार्किंग के लिए प्री-बोर्ड की परीक्षा करवा ली है। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि आईसीएसई, सीबीएसई और आरबीएसई बोर्ड ने बारहवीं के विद्यार्थियों को प्रमोट करने को लेकर अभी तक कोई प्रक्रिया तय नहीं की है, उसके बावजूद निजी स्कूल संचालक दोबारा किसकी अनुमति से प्री-बोर्ड की परीक्षाओं का आयोजन कर रहा है, जबकि केन्द्र और राज्य सरकार ने परीक्षा पूरी तरह से रदद् कर दी है।

अभिभावकों ने दर्ज कराई शिकायत

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि बुधवार को दो स्कूलों (जयपुरिया और सेंट एंसलम स्कूल) के अभिभावकों ने संघ के हैल्पलाइन नम्बर 9772377755 पर शिकायत दर्ज करवाई है कि गुरुवार से स्कूल प्रशासक 12 वीं के छात्रों की प्री-बोर्ड परीक्षाएं ले रहे हैं, जो छात्र प्री-बोर्ड की परीक्षाएं देंगे, वही छात्र प्रमोट होंगे, जो छात्र प्री-बोर्ड परीक्षा देना चाहते हैं, वह पहले पूरी फीस जमा करवाएं, जो फीस जमा करवाएंगे, उन्हीं छात्रों को प्री-बोर्ड परीक्षा देने दी जाएगी। 

परीक्षा के नाम पर अभिभावकों को डरा रहे निजी स्कूल

प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि प्री-बोर्ड परीक्षा को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि ना सीबीएसई बोर्ड ने प्रमोट करने को लेकर प्रक्रिया निर्धारित की है और ना ही आरबीएसई बोर्ड ने। ऐसी स्थिति में निजी स्कूल संचालक बिना अनुमति कैसे प्री-बोर्ड परीक्षाएं करवा सकते हैं। दूसरा सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई को अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि किसी भी छात्र की पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्ट रोकने का अधिकार किसी भी स्कूल संचालक के पास नहीं है तो वह खुलेआम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कैसे कर सकते हैं। इस संदर्भ में संयुक्त अभिभावक संघ दोनों स्कूल सहित उन सभी स्कूलों में जांच की मांग करता है जो बिना अनुमति प्री-बोर्ड परीक्षाएं करवाकर अभिभावकों और छात्रों में डर का माहौल बना रहे हैं।

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