बोर्ड परीक्षाएं हुईं रद्द, अभिभावकों को लौटाया जाए परीक्षा शुल्क
संयुक्त अभिभावक संघ ने की मांग ....
- सीबीएसई, आईसीएसई और आरबीएसई बोर्ड छात्रों का परीक्षा शुल्क वापस लौटाए
जस्ट टुडे
जयपुर। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के चलते केन्द्र और राज्य सरकारों ने 10 वीं और 12 वीं कक्षा की सीबीएसई, आईसीएसई और आरबीएसई बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। परीक्षा निरस्त होने के बाद अब परीक्षा शुल्क के नाम पर अभिभावकों से लिया गया परीक्षा शुल्क लौटाने की मांग उठने लगी हैं। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि परीक्षाओं को लेकर केन्द्र और और राज्य सरकारों को विकल्प तलाशने की आवश्यकता थी, किन्तु सवा सालों में कोई भी विकल्प नहीं तलाशे गए। आखिरकार केन्द्र और राज्य सरकार ने 10 और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी।
परीक्षा नहीं होने से बचे सारे खर्च
संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सत्र 2020-21 की परीक्षाएं निरस्त होने से बोर्डों को परीक्षा कार्यों में विभिन्न मदों में होने वाला व्यय जैसे परीक्षा केन्द्रों का व्यय, परीक्षकों पर व्यय, उत्तर पुस्तिकाएं बनवाने और जांचने में होने वाला व्यय, परिवहन व्यय, परीक्षा केन्द्रों की वीडियो, फोटोग्राफी का व्यय व अन्य प्रशासनिक व्यय इत्यादि की बचत हुई है। अब जब केन्द्र और राज्य सरकार ने बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी हैं तो सीबीएसई, आईसीएसई और आरबीएसई बोर्ड को परीक्षा के लिए लिया गया परीक्षा शुल्क वापस लौटया जाना चाहिए।
परीक्षा फीस के नाम पर जुटाई 1640 करोड़ रुपए
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने छात्र हितों की दुहाई देकर परीक्षाएं निरस्त करने की घोषणा तो कर किन्तु अब तक परीक्षा शुल्क वापस लौटने के निर्णय पर कोई जानकारी नही दे रहे हैं। अकेले राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाओं के लिए प्रदेश के 21 लाख अभिभावकों से 140 करोड़ से अधिक की राशि जुटाई थी, जबकि सीबीएसई बोर्ड ने करीब 1500 करोड़ से अधिक जुटाएं हैं। आईसीएसई बोर्ड ने अलग जुटाए, इसके अलावा अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्ड ने अलग से जुटाएं वह भी अलग हैं। प्रदेश का अभिभावक पहले ही ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, अब बोर्ड परीक्षाओं के शुल्क का संशय भी अभिभावकों के माथे पर डाला जा रहा है।