निजी स्कूलों की दबंगई, रोकी ऑनलाइन पढ़ाई

- सेंट एंसलम, मयूरा, एसवी, माहेश्वरी इंटरनेशनल स्कूल ने बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा रोकी

- संयुक्त अभिभावक संघ ने शिक्षा राज्यमंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रिंसिपल सैकेट्री और बाल आयोग को दी शिकायत


जस्ट टुडे
जयपुर।
सेंट एंसलम स्कूल, मानसरोवर और मयूरा स्कूल, आदर्श नगर की दो शिकायतों के बाद मंगलवार को चार स्कूलों के अभिभावकों की शिकायत के आधार पर संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, प्रिंसिपल सेकेट्री अर्पणा अरोड़ा, जिला शिक्षा अधिकारी नवीन पिलानिया और राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा संगीता बेनीवाल को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज करवाई और कार्यवाही करने की मांग की। 

पढ़ाई नहीं रोकने का सुप्रीम कोर्ट दे चुका है आदेश

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि संयुक्त अभिभावक संघ की शिकायत पर सेंट एंसलम स्कूल मानसरोवर पर बाल आयोग ने संज्ञान लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को 7 दिवस में जांच कर कार्यवाही की रिपोर्ट देने का नोटिस जारी कर दिया था। उसके बाद मंगलवार को संगठन के हैल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर चार स्कूलों के अभिभावकों की शिकायत प्राप्त हुई, जिसमें सेंट एंसलम, माहेश्वरी इंटरनेशनल, एसवी और मयूरा स्कूल के अभिभावक शामिल हैं, सभी की शिकायत थी कि उनके बच्चों की ऑनलाइन क्लास नए सत्र के पहले दिन से बंद है जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि फीस के चलते किसी भी स्कूल को बच्चों की पढ़ाई रोकने का अधिकार नहीं है, ना ही कोई स्कूल संचालक पढ़ाई रोक सकते हैं और ना ही किसी भी बच्चे का रिजल्ट रोक सकते हैं। उसके बावजूद निजी स्कूल मनमानी कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अभिभावकों की विडंबना है कि वह वर्तमान कोरोना संक्रमण की परिस्थितियों के कारण ना काम-धंधा कर पा रहे हैं और ना ही नौकरी कर पा रहे हैं ऐसी स्थिति में वह स्कूलों की फीस कहा से चुकाएं, जबकि अभिभावकों के घरों में खाने तक के लाले पड़ रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार फीस की जानकारी मांगी जाती है तो पहले तो वह सुप्रीम कोर्ट के अनुसार फीस डिफाइंड करने की बात करते हैं और दो-चार दिन बाद स्कूल संचालक अभिभावकों को फोन करके जानकारी देते हैं कि फीस जमा नहीं करवाई तो आप अपने बच्चों की टीसी स्कूल से ले जाएं। जबकि स्कूल को पत्र लिखकर अभिभावक अपनी पीड़ाएं स्कूल संचालकों के साथ साझा कर रहे हैं, मीटिंग करने की बात कर रहे है, किंतु स्कूल संचालक ना पत्र का कोई जवाब दे रहे हैं ना मीटिंग कर रहे हैं।  

राइट टु एजुकेशन कानून का उल्लंघन

संघ प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि निजी स्कूल संचालक जिस प्रकार अपनी मनमानी कर अभिभावकों को लगातार प्रताडि़त व अपमानित कर रहे हैं, उससे साफ झलकता है कि स्कूलों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते वह बेखौफ बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई रोककर ना केवल राइट टू एकजुकेशन कानून का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश की भी अवमानना कर रहे है। स्कूल प्रबन्धकों में कानून को लेकर बिल्कुल भी डर नही है, बल्कि कानून का सहारा लेकर ही कानून को तोडऩे जैसे काम कर रहे हैं। 

राज्य सरकार की गाइडलाइन भी नहीं मान रहे निजी स्कूल

प्रदेश संयुक्त मंत्री मनोज जसवानी ने कहा कि अभिभावकों की पीड़ाओं पर राज्य सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए, केवल जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से बड़ी संख्या में अभिभावकों की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। पिछले सवा सालों में राज्य सरकार ने कोई गाइडलाइन तय नहीं की है, जो गाइडलाइन तय की है, उसे निजी स्कूलों ने आज तक नहीं माना है। ऐसे में राज्य सरकार को वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सभी स्कूलों को लेकर सख्ती बरतनी चाहिए और एक समान आदेश जारी कर कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश शिक्षा विभाग को देने चाहिए। 

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