ऑनलाइन परीक्षा नहीं तो फिर ऑनलाइन पढ़ाई क्यों?
स्कूल फीस मुद्दा
- 10 वीं और 12 वीं बोर्ड परीक्षा से छात्रों को दी राहत अब फीस मुद्दे पर सकारात्मक निर्णय कर अभिभावकों को भी राहत दें केन्द्र और राज्य सरकार
- निजी स्कूल करवा रहे ऑनलाइन पढ़ाई और फीस वसूल रहे ऑफलाइन पढ़ाई की
-सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नहीं कर रहे निजी स्कूल, मनमानी फीस रहे वसूल
जस्ट टुडे
जयपुर। कोरोना संक्रमण के डर के चलते पिछले कई माह से प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर का अभिभावक चिंतित था। आखिरकार केन्द्र और राज्य सरकारों ने 10 वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा को रद्द पर छात्रहित में निर्णय किया है। अब अभिभावक चाहते हैं कि केन्द्र और राज्य सरकार ऑनलाइन पढ़ाई मामले में भी सकारात्मक निर्णय दें। अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई जब विकल्प ही नहीं थी तो यह क्यों लागू की गई। ऑनलाइन पढ़ाई में कोर्स भी पूरा नहीं पढ़ाया जाता है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई में ऑफलाइन पढ़ाई की फीस निजी स्कूलों की ओर से क्यों वसूली जा रही है? अभिभावकों ने केन्द्र और राज्य सरकारों से उनके पक्ष में निर्णय करने और फीस एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने की मांग की है।
अभिभावकों को लूटने का जरिया है ऑनलाइन पढ़ाई
संघ प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि कई माह से केन्द्र और राज्य सरकारें हठधर्मिता दिखाते हुए और विद्यार्थियों की जिन्दगी से से समझौता करते हुए ऑफलाइन एग्जाम पर अड़ी हुई थी, अभिभावक ऑफलाइन परीक्षा का लगातार विरोध कर रहे थे, ऑनलाइन परीक्षा विकल्प हो सकती थी, किन्तु सरकारों ने इसे स्वीकार नहीं किया, जबकि कक्षा 1 से 9 व 11 की परीक्षा निजी स्कूलों ने ऑनलाइन ही ली है तो उन्हें किस आधार पर मान्यता दी जा रही है। क्या ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प केवल अभिभावक को लूटने और ठगने के लिए बनाया गया है।
सरकारें नहीं सुन रहीं तो कहां जाए अभिभावक
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते एक मात्र अभिभावक है, जो विभिन्न मारों से पीडि़त हैं, जिस पर ना केन्द्र सरकार कोई सुध ले रही है ना राज्य सरकार। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी आस जगी थी, लेकिन, सरकारों और अधिकारियों की नाकामियां कोर्ट के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डालने में उतारू हैं। एक महीने हो गए सुप्रीम कोर्ट को आदेश दिए हुए ना निजी स्कूलों ने आदेश लागू किए, ना फीस एक्ट 2016 लागू किया। पिछले सवा सालों से अनगिनत विनतियां केंद्र और राज्य सरकार को कर दीं, लेकिन, सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्य में डीआरडीओ की स्थापना के लिए ज्ञापन दिया, लेकिन, अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया, ऐसी स्थिति में अभिभावक जाए तो जाए कहा।
कौन सुनेगा...किसको सुनाए, इसलिए चुप रहते हैं
1) कोरोना संकट काल में बेरोजगारी, बिना कमाई ना घर चला सकते हैं, ना राशन खरीद सकते हंै और ना ही बिजली,पानी बिल जमा करवा सकते हैं, ऐसी स्थिति में स्कूलों की फीस कहा से देंवे ?
2) सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 1 महीना हो गया, राज्य सरकार कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित क्यों नहीं करवा रही है ?
3) सरकार फीस एक्ट 2016 लागू क्यों नहीं करवा रही है ?
4) क्या इस कोरोना संक्रमण काल में अभिभावक मरेगा तभी राहत देगी सरकार ?
5) जब परीक्षा को लेकर ऑनलाइन विकल्प नहीं तो, ऑनलाइन पढ़ाई क्यों? और जब ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है तो ऑफलाइन की पूरी फीस क्यों?