मानसरोवर निगम जोन...अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर क्यों है मौन

 - मानसरोवर निगम जोन में युवा एकता मंच के अध्यक्ष के साथ कई समाज-सेवियों ने दिया सांकेतिक धरना... अवैध निर्माण, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार को कम करने की मांग 


जस्ट टुडे
जयपुर।
ग्रेटर नगर निगम के मानसरोवर जोन के दायरे में आने वाले रहवासी क्षेत्रों की हालात बदतर हैं। मानसरोवर नगर निगम जोन में अफसरों की नाक के नीचे अवैध निर्माण धड़ल्ले से शुरू हैं, जो एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी की सूरत को बिगाड़ रहे हैं। वहीं आम जनता सफाई ना होने से नारकीय जीवन जीने को विवश है। रोजमर्रा की इन शिकायतों से आजिज युवा एकता मंच के अध्यक्ष जयप्रकाश बुलचंदानी के साथ समाज-सेवियों ने मानसरोवर निगम में सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन किया। धरना देने के बाद निगम राजस्व अधिकारी को ज्ञापन पत्र भी सौंपा गया। ज्ञापन में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करने और सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने की मांग की गई। 

पीपल के पेड़ को काटने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई


युवा एकता मंच के अध्यक्ष जयप्रकाश बुलचंदानी ने बताया कि मानसरोवर जोन के अफसरों की उदासीन कार्यशैली के चलते जनहित से जुड़े सभी मुद्दे हवा हो रखे हैं। जोन क्षेत्र में खुलेआम अवैध निर्माण जोर-शोर से किए जा रहे हैं। बार-बार शिकायत करने के बाद भी अफसरों का इन पर कार्रवाई ना करने से भ्रष्टाचार की आशंका दिखाई दे रही है। लालच के चलते अवैध निर्माणकर्ता हरे पेड़ों की बलि लेकर कंक्रीट की विशाल इमारत खड़ी करने में लगे हैं। हरे पेड़ों को काटने से पर्यावरण तो दूषित हो ही रहा है, साथ ही यह कानून की भी खुली अवहेलना है। वार्ड 70 में पीपल के पेड़ को काटकर बन रही अवैध इमारत पर कार्यवाही कर जनता को राहत और पेड़ को न्याय प्रदान करें। 

अतिक्रमण से जनता आहत...अफसर दें राहत

बुलचंदानी ने बताया कि जोन क्षेत्र में सफाई ना होने से आम जनता परेशान है। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे होने से बारिश के मौसम में मच्छर-मक्ख्यिों से बीमारी फैलने का अंदेशा बना हुआ है। नालों की सफाई ना होने से उनमें कचरा फंसा हुआ है। क्षेत्र में कई जगह पानी ओवरफ्लों होकर नालों से बाहर फैल रहा है, जिससे राहगीरों को भी परेशानी हो रही है, साथ ही कोरोना काल में बीमारी फैलने का भय बना रहता है। बुलचंदानी ने बताया कि जगह-जगह अतिक्रमण होने से क्षेत्र का दम घुट रहा है। जनता को तो ये अतिक्रमण दिख जाते हैं, लेकिन, अफसरों को ये अतिक्रमण क्यों नजर नहीं आ रहे हैं। 


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