कॉलोनी में चल रही थी अवैध डेयरी, मानसरोवर निगम जोन ने किया बंद
- ग्रेटर नगर-निगम के वार्ड 69 स्थित खाली प्लॉट में चल रही अवैध डेयरी को नगर-निगम प्रशासन ने कराया बंद
- युवा एकता मंच के अध्यक्ष ने की थी शिकायत, मानसरोवर में दर्जनभर अभी भी चल रही हैं अवैध डेयरियां
जस्ट टुडे
जयपुर। कॉलोनी में खाली पड़ी जमीनों पर अवैध डेयरियों का धंधा जमकर चल रहा है। जिस भी खाली प्लॉट को देखो, वहीं पर गाय बंधी हुईं नजर आ जाएंगी। कई बार स्थानीय लोग इनसे हादसे का शिकार भी हो जाते हैं। एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी मानसरोवर में जगह-जगह ये नजारा आम है। इसे लेकर युवा एकता मंच के अध्यक्ष और मानसरोवर निवासी जयप्रकाश बुलचंदानी ने पशु संरक्षण एवं नियंत्रण शाखा चेयरमैन को इसकी शिकायत की। उन्होंने तुरन्त कार्रवाई करते हुए अवैध डेयरी को बंद करा दिया।
और बंद करा दी अवैध डेयरी
युवा एकता मंच के अध्यक्ष जयप्रकाश बुलचंदानी ने बताया कि मानसरोवर स्थित वार्ड 69 स्थित एक खाली प्लॉट पर अवैध डेयरी चल रही थी। इससे हो रही गंदगी से वार्डवासी परेशान थे। गंदगी में पनपकर मच्छर-मक्खियां भी पैदा होकर बीमारी का सबब बन रही थी। कई वार्डवासी भी गायों से हादसे का शिकार भी हो चुके थे। उन्होंने बताया कि इस पर उन्होंने पशु संरक्षण एंव नियंत्रण शाखा चेयरमैन अरुण वर्मा को शिकायत की। उन्होंने इस पर तुरन्त कार्रवाई करते हुए निगम की टीम को भेजा और अवैध डेयरी को बंद करा दिया।सड़ा हुआ गोबर दे रहा बीमारी
मानसरोवर में जगह-जगह खाली प्लॉटों में अवैध डेयरियां संचालित हैं। कॉलोनियों के खाली प्लॉटों में चलने वाले तबेलों से स्थानीय लोग परेशान हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार इन अवैध डेयरी संचालकों को गाय बांधने से मना भी किया, लेकिन, वे नहीं माने। स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध डेयरी संचालक गाय के गोबर को भी खाली प्लॉट के एक हिस्से में डाल देते हैं, जिससे गंदगी फैलती रहती है। बारिश के दिनों में तो इससे बदबू भी आने लगती हैं और बीमारियों का डर बना रहता है।
गायों के लडऩे से चोटिल हो रहे राहगीर
जयप्रकाश बुलचंदानी ने बताया कि मानसरोवर की कई कॉलोनियों में दर्जनभर से ज्यादा अवैध डेयरियां संचालित हैं। खाली पड़े प्लॉटों पर दिनभर गाय बंधी रहती हैं। सुबह-शाम कॉलोनियों में इनका जमावड़ा लगा रहता है। अधिकांश लोग गायों का दूध निकालने के बाद उन्हें चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं। दिनभर ये गाय घूमती रहती हैं, लड़ती रहती हैं। इनकी लड़ाई से कई बार राहगीर भी चोटिल हो चुके हैं। शाम होते ही वापस ये इसी जगह आ जाती हैं।