जयपुर के वैशाली नगर में गोबर के उत्पाद का स्टार्टअप शुरू

- एसीबी डीजी सोनी ने किया गोबर के उत्पाद का शुभारंभ
जस्ट टुडे
जयपुर। अब जयपुर शहर में भी गाय के गोबर से गोमय रक्षासूत्र, बड़कूले, गोबर की ईंट एवं गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा आदि अनेक उत्पाद बनने प्रारंभ हो गए हैं। राजधानी के वैशाली नगर में गोमय उत्पादों का स्टार्टअप का शुभारंभ एसीबी के डीजी बीएल सोनी और कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष हरिप्रसाद जी शर्मा ने किया। कार्यक्रम में गोबर से बनी गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा आर्कषण का केंद्र रही। इस शुभारंभ के मौके पर गाय बनाए करोड़पति मशीन के जनक और सचिव कृषि उपज मंडी नोहर पंडित विष्णु दत्त शर्मा ने सभी अतिथियों को गोबर की श्री यंत्र की माला पहनाकर स्वागत किया। 



इस मौके पर मुख्य अतिथि बीएल सोनी ने कहा कि गाय के उत्पाद जीवन में अपनाना ही गाय की रक्षा और संवर्धन का सर्वोत्तम साधन हैं। सभी को गाय की सेवा करनी चाहिए। हम भी ग्रामीण परिवेश से हैं तथा अपने गांव जब भी जाते हैं, गौशाला में बैठकर घंटों गाय की सेवा करते हैं। जीवन में उन्नति के लिए वर्तमान पीढ़ी को गाय की सेवा और बड़े बुजुर्गों के पास बैठने का समय निकालना चाहिए, जिससे उनके अनुभव का जीवन में लाभ मिल कर वर्तमान पीढ़ी उन्नति एवं उच्च पद प्राप्त कर सकें। इस अवसर पर कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि वे प्रत्यक्ष रूप से श्री गौशाला रेनवाल से जुड़े हुए हैं तथा निरंतर गौ सेवा का कार्य कर रहे हैं। सभी को गौ सेवा का कार्य करना चाहिए। 
      इस अवसर पर सेवानिवृत्त डीआईजी गिरधारी लाल शर्मा, सुविख्यात ज्योतिर्विद पंडित सुरेश दाधीच एवं गोनंदी सरंक्षण समिति के अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत श्री गौशाला रेनवाल के अध्यक्ष कैलाश शर्मा ,हिमांशु दाधीच एवं धनंजय सिंह ने किया। कार्यक्रम में गोभक्त और वास्तुशास्त्री किशन शर्मा, राजीव राठौड़, महिपाल सिंह जी, उमेश तिवारी,कोमल चोटिया, आरएएस डॉ़.जीएल शर्मा और एडवोकेट लोकेश शर्मा उपस्थित थे।

गोमय वसते लक्ष्मी




पंडित विष्णु दत्त शर्मा  ने बताया कि सभी के मन में प्रश्न उठना स्वभाविक है कि अतिथियों को गोमय की माला ही क्यों पहनाई गई जबकि सभी जगह सम्मान में फूलों, रत्नों, मनको, तुलसी, रुद्राक्ष  आदि वनस्पतियों अथवा स्वर्ण, रजत आदि धातुओं की माला पहनाई जाती है।
इस विषय में गोमय से माला बनाकर उसे श्रीयंत्र एवं कनकधारा स्तोत्र  से अभिमंत्रित कर तैयार करने की नवीन परम्परा का शुभारंभ करने वाले पंडित विष्णु दत्त शर्मा बताते हैं कि गोमय की माला से अधिक मूल्यवान कोई माला नहीं होती है। इसीलिए जब पहली बार गौ माता के पवित्र गोबर से निर्मित सुंदर श्रीयंत्र की माला अतिथियों को भेंट की गई और उतना ही ह्रदय से अतिथियों ने उस गोमय माला को अपने गले में स्थान दिया, आनंद से दिया तब सबका मन  आल्हादित  हो गया। गोमय माला भेंट करने वाले भी और उसे स्वीकार करने वाले भी, दोनों ही का भाव अद्भुत और चमत्कृत करने वाला इसलिए बन पाया क्योंकि मणि-माणिक, हीरा-मोती, और सोना-चांदी...... यह सब तो लक्ष्मी के अंश है परंतु गौ माता के गोबर में तो स्वयं भगवती लक्ष्मी विराजती है , इसलिए हीरे-मोती से भी अनंत गुना महंगी गोमय माल की कीमत भगवती गौ माता ही जानती है अथवा उसका अनुमान केवल गौ भक्त लगा सकते हैं ।

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