सांगानेर भाजपा मण्डल में बवाल, अध्यक्ष पर उठे सवाल

सांगानेर भाजपा में कलह, निकाय चुनाव में भाजपा की करारी हार

- सांगानेर भाजपा मण्डल की संगठनात्मक बैठक में भी कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा, मण्डल अध्यक्ष को बदलने की प्रदेश संगठन से की अपील



जस्ट टुडे
जयपुर।
भाजपा का गढ़ माने जाने वाले सांगानेर की आबोहवा निकाय चुनावों से लेकर अब तक 'भाजपा' को रास नहीं आ रही है। निकाय चुनावों में सांगानेर मण्डल की 10 सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा। यही नहीं सांगानेर भाजपा मण्डल अध्यक्ष को घर में भी मात खानी पड़ी। निकाय चुनाव से शुरू हुई 'रार' भाजपा में अभी तक बनी हुई है। अभी हाल ही में सांगानेर भाजपा मण्डल की संगठनात्मक बैठक में भी कार्यकर्ताओं ने सांगानेर मण्डल अध्यक्ष पर निकाय चुनावों में टिकट बंटवारे को लेकर गंभीर आरोप लगाए। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस बैठक में भाजपा सांगानेर मण्डल के प्रभारी और जयपुर शहर के उपाध्यक्ष पूर्व महापौर विमल कुमावत सहित कई पदाधिकारी शामिल थे। उस बैठक में भाजपा के दो धड़े साफ दिखाई दे रहे थे। बैठक में दोनों धड़े बैठे भी अलग-अलग थे। उस दौरान उपस्थित कार्यकर्ताओं में से करीब 95 फीसदी ने पदाधिकारियों से मण्डल अध्यक्ष को बदलने की मांग की थी। सांगानेर भाजपा में 'रार' को लेकर जस्ट टुडे ने कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से बात की। जस्ट टुडे की तहकीकात में जो सामने आया, वह पाठकों के लिए ज्यों का त्यों?

विधानसभा चुनावों में भाजपा अगाड़ी, अब हुई पिछाड़ी

सांगानेर भाजपा मण्डल के कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति कांग्रेस से मजबूत थी। उसके बाद से भाजपा की स्थिति दिन-प्रतिदन कमजोर ही हुई है। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनावों में सांगानेर मण्डल में वार्ड 39 में भाजपा करीब 3500 वोटों और वार्ड 36 में करीब 1100 वोटों से आगे थी। वहीं वार्ड 35 में करीब 500 वोटों से पीछे थी। यानी करीब 4100 वोटों से भाजपा विधानसभा चुनावों में सांगानेर मण्डल में कांग्रेस से आगे थी। अब निकाय चुनावों में वार्ड 88 में 282, वार्ड 91 में 1045, वार्ड 92 में 1239, वार्ड 93 में 794, वार्ड 94 में 411, वार्ड 96 में 1047, वार्ड 97 में 1123, वार्ड 98 में 2114 वोटों से भाजपा अचानक से कांग्रेस से पीछे हो गई। सिर्फ वार्ड 89 में 751 और वार्ड 90 में 1173 वोटों से भाजपा प्रत्याशी जीते थे। यानी निकाय चुनावों में भाजपा 8 वार्डों में करीब 6131 वोटों से कांग्रेस से पीछे हो गई। वहीं विधानसभा चुनावों में करीब 4100 वोटों से भाजपा आगे थी। ऐसे में विधानसभा चुनावों से लेकर अभी तक भाजपा करीब 10231 वोटों से पीछे हो गई है। 


गुटबाजी से हुई शुरू हुई रार 

इन लोगों का कहना है कि विधानसभा चुनावों के बाद सांगानेर में दो गुट हो गए। इसमें एक गुट विधायक अशोक लाहोटी का था और दूसरा गुट सांसद रामचरण बोहरा का था। चूंकि, सांगानेर मण्डल के गठन में अशोक लाहोटी को तवज्जो मिली, ऐसे में सांगानेर मण्डल अध्यक्ष भी उनकी ही पसंद का बना। फिर अध्यक्ष ने भी अपनी पसंद की टीम बनाई। इसके बाद सांगानेर में उन्हीं भाजपा कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाने लगी, जो अध्यक्ष की पसंद के थे। बाकी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। 

मण्डल अध्यक्ष पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप

कार्यकर्ताओं का कहना है कि मण्डल अध्यक्ष जब भी कोई बैठक का आयोजन करते, उसमें अपनी पसंद के गिने-चुने कार्यकर्ताओं को ही बुलाते थे। बाकी के कार्यकर्ताओं को बैठक की सूचना भी नहीं दी जाती थी। सिर्फ वाट्सएप पर सूचना देकर इतिश्री कर ली जाती थी। कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई बार वाट्सएप पर सूचना सही समय पर नहीं देख पाते हैं। ऐेसे में बैठक की सूचना फोन करके भी दी जानी चाहिए थी। साथ ही अभी हाल ही में सांगानेर में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती भी मनाई गई थी। उसमें भी सिर्फ गिने-चुने लोगों को ही बुलाया गया था। महिला कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सांगानेर में भाजपा महिला मोर्चा भी मौजूद है। लेकिन, मण्डल अध्यक्ष ने अभी तक उनको तवज्जो नहीं दी है। किसी भी बैठक की सूचना उन्हें नहीं मिलती है। वहीं जब रैली निकलवानी हो या फिर भीड़ एकत्रित करनी हो तो ही महिला मोर्चा को सूचना दी जाती थी। जब कोई बड़ा पदाधिकारी आता है तो तब उन्हें सूचना नहीं दी जाती है। क्योंकि, मण्डल अध्यक्ष को डर रहता है कि कोई उनकी असलियत उन्हें ना बता दे। 

कार्यकर्ताओं ने दी चुनौती

सांगानेर में कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने मण्डल अध्यक्ष को चेतावनी दी है कि वे कोई बैठक का आयोजन करें और उसमें कार्यकर्ताओं की उपस्थिति से ही उन्हें अपनी लोकप्रियता का अंदाजा हो जाएगा। सांगानेर के अधिकतर भाजपा कार्यकर्ताओं ने वर्तमान मण्डल अध्यक्ष को पद से हटाने की प्रदेश संगठन से मांग की है। इनका कहना है कि सांगानेर मण्डल की 10 में से 8 सीटें हारने के बाद तो मण्डल अध्यक्ष को नैतिकता के आधार पर अभी तक इस्तीफा दे देना चाहिए था। लेकिन, इन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया, इससे साफ पता चलता है कि इन्हें सिर्फ और सिर्फ पद से मतलब है। 

टिकट वितरण में की मनमर्जी

सांगानेर भाजपा मण्डल के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का कहना है कि मण्डल अध्यक्ष जब राजनीतिक पद पर बैठे हुए हैं तो फिर उन्हें व्यापार संगठन में पद की क्या आवश्यकता है। साथ ही व्यापार महासंघ, सांगानेर में महामंत्री होने के बाद भी उन्होंने निकाय चुनाव में व्यापार महासंघ, सांगानेर के किसी भी पदाधिकारी को तवज्जो नहीं दी। ऐसे में व्यापारियों में भी उनके खिलाफ आक्रोश है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मण्डल अध्यक्ष ने निकाय चुनाव में उन लोगों को तो टिकट बांट दिए जो कुछ ही महीनों पहले भाजपा में आए थे, वहीं वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे लोगों को दरकिनार कर दिया। ऐसे में सांगानेर मण्डल में भाजपा को 10 सीटों में से 8 सीटों पर करारी हार मिली। 

... तो फिर सांगानेर विधानसभा में भाजपा क्यों रही आगे

जस्ट टुडे ने इस सम्बंध में सांगानेर भाजपा मण्डल अध्यक्ष से बात की। इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जो परिसीमन किया, वह गलत किया। उसकी वजह से सांगानेर मण्डल में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। तथ्यात्मक रूप से यदि देखा जाए तो कांग्रेस सरकार ने पूरे राज्य में भी नया परिसीमन किया था। जयपुर शहर का भी इस दौरान परिसीमन किया गया। ऐसे में ग्रेटर जयपुर में भाजपा का बोर्ड बना। वहीं सांगानेर विधानसभा की बात की जाए तो भाजपा निकाय चुनाव में कांग्रेस से बहुत आगे है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि परिसीमन से ही हार मिली तो फिर पूरी विधानसभा में ही हार क्यों नहीं मिली? सांगानेर मण्डल में भाजपा को मिली हार कई सवालों और आशंकाओं को जन्म देने के लिए काफी है। 

गलत परिसीमन से सांगानेर मण्डल में मिली हार

सांगानेर में विधायक डॉ. अशोक लाहोटी के नेतृत्व में भाजपा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है। भाजपा का वोट प्रतिशत निरन्तर सांगानेर में बढ़ा ही है। निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस सरकार ने जो परिसीमन किया, वह गलत किया। इसकी वजह से सांगानेर मण्डल में भाजपा को 8 वार्डों में पराजय का मुंह देखना पड़ा। निकाय चुनाव में भी सांगानेर में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है।
- ओमप्रकाश शर्मा, सांगानेर भाजपा मण्डल अध्यक्ष

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