कांग्रेस में अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर और खलनायक हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: डाॅ. सतीश पूनिया

- कब तक बाड़े में से मुख्यमंत्री गहलोत सरकार चलायेंगे, इसका जवाब भाजपा और प्रदेश की जनता बार-बार पूछ रही है : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष 


जस्ट टुडे
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस में चल रहे अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर, खलनायक  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जो 19 विधायकों की नाराजगी की बात सामने आ रही है, उनको अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी से बाहर करने का षडयंत्र रच रहे हैं। स्पीकर द्वारा कांग्रेस के नाराज विधायकों के नोटिस को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि इसमें मुख्यमंत्री गहलोत का षडयंत्र है कि 19 विधायकों को पार्टी से बाहर कैसे निकाला जाये, यह सारी व्यू रचना उन्होंने रची है। 
 उन्होंने कहा कि कब तक बाड़े में से मुख्यमंत्री गहलोत सरकार चलायेंगे, इसका जवाब भाजपा और प्रदेश की जनता बार-बार पूछ रही है। 

दायर की जाएगी नई याचिका 


डाॅ. पूनियां ने कहा कि बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों को लेकर विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर याचिका को विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा याचिका खारिज करने और इसी पर कार्यवाही को लेकर हाईकोर्ट द्वारा अपील खारिज किये जाने को भाजपा फिर से कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे विधि वेत्ताओं से राय मशवरा लिया जा रहा है, उसके बाद एक नई याचिका दायर की जाएगी। डाॅ. पूनियां ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने जो तत्परता कांग्रेस के इन नाराज लोगों के प्रति दिखाई, वैसी तत्परता बसपा के विधायकों के प्रति नहीं दिखाई तो इसमें थोड़ी शंका लगती है। आज एक सामान्य सी बात थी मदन दिलावर को उनके फैसले की काॅपी देनी थी, इसके लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी। 

जायज है या नहीं, फैसला करेगा न्यायालय 

डाॅ. पूनियां ने कहा कि बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ओर से बीएसपी का पत्र जारी हुआ है। मोटे तौर पर कहा जाए तो बीएसपी का चुनाव चिन्ह है, उसका सिंबल जारी होता है। बीएसपी का राष्ट्रीय स्तर पर कोई मर्जर नहीं हुआ है, इसलिए विधायकों का मर्जर यह संवैधानिक तौर पर जायज है या नहीं है, इसका फैसला न्यायालय करेगा। 
 एक सवाल का जवाब देते हुए पूनिया ने कहा कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की राज्य ईकाई अपनी मर्जी से किसी भी पार्टी में विलय नहीं कर सकती। विलय पत्र पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने चाहिए। बसपा नेतृत्व ने ऐतराज जताते हुए कहा कि हमने कांग्रेस में अपने आपको विलय नहीं किया, तो हमारे विधायक कांग्रेस में कैसे विलय कर सकते हैं। 

संविधान में हर व्यक्ति को अधिकार

विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि संविधान ने हर व्यक्ति को अधिकार दे रखा है, जिनका वो समय-समय पर उपयोग करते हैं। कैबिनेट राज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए सलाह देती है, जिसमें उनको सत्र बुलाने का कारण भी बताना होता है एवं राज्यपाल महोदय उस पर विचार करते हैं।


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