आकेडा डूंगर में रीको की 100 करोड़ की जमीन पर कब्जा
- मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन, पार्टी ने मौका देख जमीन पर दीवार खींच किया अवैध निर्माण
- रीको अफसरों ने थाने में मुकदमा दर्ज करने को लिखा, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं}}
जस्ट टुडे
जयपुर। अफसरों की मिलीभगत के चलते विश्वकर्मा क्षेत्र में आकेड़ा डूंगर में कर्मभूमि एस्टेट ने रीको की 100 करोड़ की जमीन पर कब्जा कर लिया है। जमीन की मलाई में बंदरबाट के चलते ना तो रीको अपनी बेशकीमती जमीन को छुड़ाने के लिए ठोस कदम उठा रहाी है और ना ही पुलिस। नतीजतन रीको की इस 100 करोड़ रुपए की जमीन पर कब्जा करने वाले बेखौफ हैं। इन्होंने इस जमीन पर अवैध तरीके से दीवार खींच ली है। हालांकि, रीको ने विश्वकर्मा थानाधिकारी को इस सम्बंध में शिकायत कर रखी है और हाईकोर्ट में भी मामला विचाराधीन है। लेकिन, जानकारों का कहना है कि जिम्मेदार अफसरों ने स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए सिर्फ दिखावे के लिए यह किया है।
यह है मामला
दरअसल, रीको ने विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र के पास आकेडा डूंगर में औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रखा है। 2001 में इस इलाके की करीब 13 एकड़ अविकसित जमीन को विश्वकर्मा स्थित रीको के रीजनल ऑफिस ने नीलाम किया था। उस समय कर्मभूमि एस्टेट ने इसकी सबसे अधिक 56 लाख रुपए बोली लगाई थी। इसका आवंटन पत्र भी जारी कर दिया गया था। नीलामी के बाद रीको के अधिकारियों ने कम रेट आने की बात कह कर जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। यह मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
इस बीच इसी साल फरवरी में कर्मभूमि एस्टेट के भागीदार संजीव मित्तल ने जमीन के एक तरफ चारदीवारी और सड़क का निर्माण कर लिया। जमीन पर चारदीवारी करने के बाद वहां चौकीदार का कमरा भी बना दिया। रीको के अधिकारियों को जब इसका पता लगा तो उन्होंने बाकायदा अपने लीगल ऑफिसर से राय लेकर फर्म के भागीदार संजीव मित्तल के खिलाफ विश्वकर्मा थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिख दिया।
अफसरों की भूमिका संदिग्ध
इसके बाद भी कर्मभूमि एस्टेट के भागीदार संजीव मित्तल की ऊंची पहुंच और प्रभावी सम्पर्क के कारण उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। इस मामले में रीको के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। जमीन पर चारदीवारी होने के बाद रीको के अधिकारी इस जमीन का वास्तविक कब्जा खुद नहीं ले रहे हैं।
दो बार मालिकाना हक के हो चुके हैं प्रयास
कर्मभूमि एस्टेट के भागीदार संजीव मित्तल इस जमीन का मालिकाना हक लेने के दो बार प्रयास कर चुके हैं। उन्होंने 2011 में भाजापा के एक बड़ेे नेता की मध्यस्थता में रीको के तत्कालीन सीएमडी के सहयोग से जमीन का कब्जा लेने का प्रयास किया था। उसके बाद उद्योग मंत्री से मिल कर इस जमीन का कब्जा लेने की कोशिश की थी लेकिन किन्ही कारणों से जमीन का कब्जा नहीं मिल पाया।