सांगानेर की पुकार, शेल्टर होम मत बनाओ सरकार
- फुटपाथियों के लिए सांगानेर स्टेडियम में सरकार बनाने जा रही है शेल्टर होम
- मिटेगी सांगानेर की पहचान, बढ़ेंगी आपराधिक वारदातें और घटेगा व्यापार
जनता की आवाज...जस्ट टुडे
विज्ञापन
जस्ट टुडे
जयपुर। सांगानेर यानी नाम में दम, सुविधाओं में कम। सांगानेर की यह नई परिभाषा सुनकर शायद आप लोगों को ठेस पहुंची होगी। लेकिन, हकीकत यही है। क्योंकि, जयपुर रियासत के पहले से बसा हुआ सांगानेर वर्तमान में भी मूलभूत सुविधाओं से उपेक्षित है। कई जनप्रतिनिधि बदले, नहीं बदली तो सांगानेर की किस्मत। आश्चर्यजनक बात यह है कि सांगानेर को आज तक मिला कुछ भी नहीं है, लेकिन, छीनने की तैयारी शुरू हो गई है।
सांगानेर की एकमात्र पहचान स्टेडियम को भी शेल्टर होम बनाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है। सांगानेर के विभिन्न संगठनों और प्रबुद्ध लोगों ने राज्य सरकार के इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला सांगानेर की जनता के साथ छलावा है। सभी ने इस फैसले को वापस लेने की पुरजोर मांग की है।
देने के बजाय लेने का हो रहा काम
सांगानेर की जनता ने जस्ट टुडे को बताया कि सांगानेर में ना पार्क है और ना ही महिला शौचालय। बस स्टैण्ड पर भी ना शेल्टर लगा हुआ है और ना ही बैठने की माकूल व्यवस्था है। ना पार्किंग है और ना ही दूसरी मूलभूत सुविधाएं। जनता की मांग है कि राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों को सांगानेर में इन सुविधाओं को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा ना करके सांगानेर की विरासतों को छीनने का काम हो रहा है।
सांगानेर की मिट जाएगी पहचान
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्टेडियम सांगानेर की पहचान है। अभी यहां बड़े-बुजुर्ग, महिलाएं घूमने आते हैं, यहां आकर उन्हें सुकून मिलता है। वहीं बच्चे खेलकर अपना मनोरंजन करते हैं। लोगों का कहना है कि राज्य सरकार को स्टेडियम का समुचित विकास करना चाहिए। यहां पर बास्केट बॉल, बैडमिंटन के भी कोर्ट बनाने चाहिए, जिससे सांगानेर से नामचीन खिलाड़ी भी निकलें। अभी यहां पर सिर्फ क्रिकेट खेलने की ही थोड़ी बहुत सुविधा है। ऐसे में शेल्टर होम बनने से ये सभी क्रियाकलाप बंद हो जाएंगे। ऐसे में ना केवल बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ होगा बल्कि सांगानेर की पहचान भी हमेशा के लिए मिट जाएगी।
आपराधिक वारदातें बढऩे की आशंका
लोगों ने जस्ट टुडे को बताया कि फुटपाथ पर सोने वाले अधिकांशतया असामाजिक तत्व होते हैं। रहने का स्थाई ठिकाना मिलने के बाद फिर ये लोग चौबीसों घंटे शेल्टर होम में ही रहेंगे। कई आपराधिक वारदातों में भी फुटपाथ पर सोने वाले लोगों की समय-समय पर भूमिका सामने आती रही है। ऐसे में सांगानेर आबादी के बीचों-बीच शेल्टर होम बनने से आपराधिक गतिविधियां भी बढऩे की आशंका बलवती होगी।
व्यापार घटेगा, लोगों में डर बढ़ेगा
सांगानेर स्टेडियम के पास बाजार भी है। शेल्टर होम बनने से स्थानीय लोग दिन छिपते ही वहां जाने से कतराएंगे। फलस्वरूप व्यापारियों की ग्राहकी भी कम होने की आशंका है। सामान्यतौर पर अभी रात 9 बजे तक बाजार में चहल-पहल रहती है और लोग भी बेखौफ परिवार संग बाजार में घूमते हैं। अभी कोरोना काल है, ऐसे में बाजार 8 बजे तक ही खुलता है। लेकिन, शेल्टर होम बनने के बाद 6:30 बजे बाद ग्राहक बाजार से दूरी बनाना ही उचित समझेंगे।
आबादी से दूर बने शेल्टर होम
लोगों ने राज्य सरकार से मांग की है कि सांगानेर की पहचान स्टेडियम का समुचित विकास हो। वहीं शेल्टर होम आबादी से दूर कहीं दूसरी जगह बनाया जाए। ऐसा होने से खेल में अपना कॅरियर संवारने वाले नौनिहाल का भविष्य उज्जवल होगा। वहीं सांगानेर मेंं अभी की तरह अमन-चैन कायम रह सकेगा।
शेल्टर होम नहीं बनने देगी जनता
सांगानेर निवासी एडवोकेट और समाज सेवी पुरुषोत्तम नागर का कहना है कि सांगानेर की पहचान स्टेडियम में शेल्टर होम बनाने का राज्य सरकार का फैसला समझ से परे है। ऐसा होने से आपराधिक वारदातें तो बढ़ेंगी ही साथ ही लोग भी कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाएंगे। क्योंकि, सांगानेर में पार्क नहीं होने से अभी लोग घूमने-फिरने स्टेडियम में ही जाते हैं। घूमने-फिरने को जगह नहीं बचेगी तो फिर बीमारियां ही होंगी। राज्य सरकार शेल्टर होम आबादी से कहीं दूर बनाए। सांगानेर की जनता किसी भी कीमत पर स्टेडियम में शेल्टर होम नहीं बनने देगी।
नगर-निगम सीईओ को करवा दिया है अवगत
स्टेडियम सांगानेर की पहचान है। स्थानीय बच्चे यहां खेलते हैं और बड़े-बुजुर्ग घूमने आते हैं। ऐसे में यहां पर शेल्टर होम बनाने का फैसला उचित नहीं है। इस बारे में मैंने नगर-निगम सीईओ को अवगत करवा दिया है। मैंने उनसे कहा कि सांगानेर स्टेडियम में शेल्टर होम नहीं बनना चाहिए। उन्होंने इस बारे में सकारात्मक संकेत दिए हैं।
-पुष्पेन्द्र भारद्वाज, कांग्रेस नेता, सांगानेर विधानसभा