23 जून को रिलीज होगी 'राहुल गांधी रिटर्न' !

- कोरोना काल में किए गए कार्यों और चिंतन शिविर को लेकर भाजपा कार्यालय में आयोजित हुई प्रेस वार्ता 

- कांग्रेस नेता गांधी पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने ली चुटकी


सतीश पूनिया


राहुल गांधी

जस्ट टुडे

जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कोरोना काल में पार्टी की ओर से 1 जून से 16 जून तक किए गए राहत कार्यों की फेहरिस्त मीडिया के सामने रखी। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से विधायकों की बाड़ाबंदी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों के लिए चिंतन शिविर आयोजित करती है और कांग्रेस बाड़ाबंदी। प्रेस वार्ता में एक पत्रकार ने राहुल गांधी पर सवाल पूछा। इस पर पूनिया ने कहा कि राहुल गांधी अच्छे नेता हैं। वे समय-समय पर देश के लोगों का मनोरंजन करते रहते हैं। देश के लिए तो पता नहीं, हमारे लिए खुशखबरी की बात है कि 23 जून को सीडब्ल्यूसी की बैठक में 'राहुल गांधी रिटर्न फिल्म' रिलीज हो सकती है।


फिसली जुबान बताया बाड़ाबंदी


इस दौरान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की जुबान भी फिसल गई। उन्होंने अपने विधायकों के प्रशिक्षण शिविर को भी बाड़ाबंदी कह दिया। हालांकि, उन्होंने स्वीकारते हुए कहा कि यह सब आम प्रक्रिया है। फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेस में इसे बाड़ाबंदी कहते हैं और हमारे यहां चिंतन शिविर। 


वर्चुअल रैली से बचाया पार्टी का पैसा


वर्चुअल रैली में खर्च को लेकर पूनिया बोले हमने काफी पैसा पार्टी का डिजिटल माध्यम से बचाया है, इस तरह की प्रक्रिया अपनाकर हमने पार्टी का काफी पैसा बचाया है। तभी एक पत्रकार ने सवाल किया कि फिर आप लोग भी विधायकों को वर्चुअल माध्यम से प्रशिक्षण क्यों नहीं देते, वहां इतना पैसा क्यों खर्च करते हैं। इस पर पूनिया ने कहा कि चूंकि वोट की प्रक्रिया वर्चुअल नहीं होती, फिजिकल होती है इसलिए ट्रेनिंग भी फिजिकल देना जरूरी है।


दोनों ही पार्टियां कर रही विधायकों पर खर्च


भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर राज्यसभा चुनावों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। कांग्रेस की बाड़ाबंदी पर भाजपा कई बार निशाना साध चुकी है। भाजपा का कहना है कि जनता कोरोना से मर रही है और सरकार होटल में ऐश कर रही है। बाड़ाबंदी पर जनता के करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं। वहीं अब भाजपा चिंतन शिविर के नाम पर विधायकों को एकत्रित कर रही है। नाम भले ही अलग हो, लेकिन भाजपा भी तो अब विधायकों पर पैसा खर्च करेगी। यानी दोनों ही पार्टियां राजनीतिक हित साधने में पैसा, संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल करती हैं। 


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