गर्मी की मार फिर भी इसलिए कम हो रहे बीमार
- लॉकडाउन के चलते उल्टी, दस्त, पेट दर्द, डिहाइड्रेशन के कम हुए मरीज
- सांगानेर सीएचसी में भी 75 फीसदी से ज्यादा घटे मौसमी बीमारियों के मरीज
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जस्ट टुडे
जयपुर। कोरोना वायरस के चलते उपजे लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं, बेरोजगार होने से मजदूर
भी पलायन को मजबूर हो गए। यह लॉकडाउन का दुखद पहलू है तो वहीं इसका एक सुखद पहलू भी सामने आया है। लॉकडाउन की वजह से मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या काफी घट गई है। हर साल गर्मियों में उल्टी, दस्त, पेट दर्द, डिहाइड्रेशन, चर्म रोग, जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ती थी। सांगानेर सीएचसी के आंकड़ों की मानें तो लॉकडाउन के चलते भीषण गर्मी में भी इस बार ऐसे मरीजों की संख्या में करीब 75 फीसदी से भी अधिक कमी आई है।
क्या है वजह
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कोरोना के चलते पूरे देश में करीब दो महीने से लॉकडाउन लगा हुुआ है। ऐसे में लोगों का समय घर पर ही व्यतीत हो रहा है। चूंकि, इससे पहले के समय को देखें तो लोग गर्मियों में भी परिवार के साथ बाहर निकलते थे। पसीने में ठण्डा पानी, बाहर का खाना, चाट-पकौड़ी आदि का भरपूर लुत्फ उठाते थे। ऐसे में वे बीमार भी ज्यादा होते थे। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से यह सब बंद है। लोग भी घरों में ही हैं। ऐसे में हर साल गर्मियों में होने वाली मौसमी बीमारियां अब तक उनसे कोसों दूर हैं।
पहले आते थे रोज 1000 मरीज, अब सिर्फ 250
सांगानेर सीएचसी प्रभारी डॉ. देश दीपक अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से फिलहाल रोजाना करीब 250 मरीज ही दिखाने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनमें भी ज्यादातर डायबिटीज और बीपी मरीज हैं। करीब 5 फीसदी मरीज जुकाम, बुखार और दाद, खाज के हैं। डायबिटीज और बीपी के मरीज तो सालभर ही रहते हैं। उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि अभी तक उल्टी, दस्त, पेट दर्द, डिहाइड्रेशन के ज्यादा मरीज नहीं आ रहे हैं। लॉकडाउन से पहले की गर्मियों को देखें तो ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ जाती थी। उस समय सीएचसी पर रोजाना करीब 1000 मरीज आते थे। इनमें ज्यादातर उल्टी, दस्त, पेट दर्द, डिहाइड्रेशन के ही मरीज होते थे। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से लोग अब घरों से नहीं निकल रहे हैं, ऐसे में वे बीमार भी नहीं हो रहे हैं।