सांगानेर में 50,790 लोगों की हुई स्क्रीनिंग, 122 कोरोना संदिग्धों का लिया स्वाब


  • कागजी मोहल्ले में तीन दिन से लगातार अलर्ट पर है चिकित्सा टीम

    18024 लोगों की गुरुवार को की गई स्क्रीनिंग



जस्ट टुडे
जयपुर। सांगानेर स्थित कागजी मोहल्ले में लगातार कोरोना पॉजिटिव के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं। अभी तक वहां पर 10 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। ऐसे में जहां पुलिस-प्रशासन ने वहां कफ्र्यू लगा दिया है, वहीं चिकित्सा विभाग की टीमें भी लगातार पूरे क्षेत्र की स्क्रीनिंग कर रही है, ताकि अन्य संभावित पॉजिटिव का पता समय रहते लगाया जा सके। इससे संक्रमण ज्यादा लोगों में नहीं फैल पाता है।


 


ब्लॉक सीएमओ, सांगानेर धनेश्वर शर्मा ने बताया कि गुरुवार को कागजी मोहल्ले में चिकित्सा विभाग की 43 टीमों ने 3874 घरों का सर्वे किया। इनमें करीब 18024 लोगों की स्क्रीनिंग की। स्क्रीनिंग में लोगों से उनकी ट्रेवल हिस्ट्री, पिछले दिनों कितने लोगों से मिले, किसी बाहरी व्यक्ति के उनके यहां आने, पहले से किसी बीमारी से ग्रसित होने सहित कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं, जिनके आधार पर प्रथमदृष्टया यह अनुमान लग जाता है कि कहां पर कोरोना संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है।
 
3 दिन में 52790 लोगों की हो चुकी स्क्रीनिंग
 
सांगानेर के कागजी मोहल्ले में तीन दिन के दौरान चिकित्सा विभाग बड़ी मुस्तैदी से कार्य कर रही है। आंकड़ों के मुताबिक इन तीन दिनों में टीम करीब 10581 घरों का सर्वे कर चुकी है और 52790 लोगों की स्क्रीनिंग कर चुकी है। ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना के संक्रमण को लेकर चिकित्सा विभाग कितना अलर्ट है।

122 लोगों के लिए स्वाब

ब्लॉक सीएमओ, सांगानेर धनेश्वर शर्मा ने बताया कि सीतापुरा स्थित जीआईटी और पूर्णिमा कॉलेज में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में बुधवार रात को करीब 122 कोरोना संदिग्ध मरीजों के गले से स्वाब लिए गए। वहीं गुरुवार को भी शाम तक स्वाब लेने का क्रम जारी था। उन्होंने बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर में सभी लोगों की समुचित देखभाल की जा रही है। उनके लिए सरकार की ओर से समुचित व्यवस्था की गई है।

इसलिए लिया जाता है स्वाब

कोरोना संदिग्ध आने पर उस व्यक्ति के गले से स्वाब लिया जाता है। उस स्वाब को जांच के लिए भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने पर पता चलता है कि उस मरीज के कोरोना किस स्तर पर पहुंचा है। ऐसे में कोरोना के खतरे का पूरी तरह पता लग जाता है। उसके बाद मरीज का उपचार करना डॉक्टर्स के लिए आसान हो जाता है।


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