डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला किया तो 7 साल सजा, 5 लाख जुर्माना


  • केन्द्र सरकार ने 123 साल पुराने महामारी कानून में किया संशोधन
    अगर हमला होता है तो जांच अधिकारी को 30 दिन के भीतर माले की जांच पूरी करनी होगी
    प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी


जस्ट टुडे
नई दिल्ली। कोरोनावायरस से लड़ाई का पहला मोर्चा संभाल रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार ने सख्त कानून बनाने मार्ग प्रशस्त कर दिया है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कैबिनेट ने बुधवार को 123 साल पुराने महामारी कानून में संशोधनों का अध्यादेश पास कर दिया। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि डॉक्टरों और किसी स्वास्थ्यकर्मी अब अगर किसी पर हमला किया जाता है तो अधिकतम 7 साल की सजा और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान कानून में रखा गया है। ऐसा हमला संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाएगा।


जावड़ेकर ने यह भी बताया कि महामारी से लडऩे वालों के खिलाफ हिंसा हो रही है और लोग उन्हें बीमारी फैलाने वाला समझ रहे हैं। महामारी कानून 123 साल पहले का है और इसमें हमने बदलाव किया है। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सरकार ने देश में 3 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है।


हमलावरों पर ऐसे कसेगा कानूनी शिकंजा



  • - स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला और गैर-जमानती अपराध माना जाएगा।
    - जांच अधिकारी को 30 दिन के भीतर जांच पूरी करनी होगी।
    - ऐसे अपराध में 3 महीने से 5 साल तक की सजा और 50 हजार से 2 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
    - गंभीर चोट आने की स्थिति में 6 महीने से 7 साल तक की सजा और एक लाख से 5 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
    - अगर स्वास्थ्यकर्मियों की गाड़ी और क्लीनिक का नुकसान होता है तो उसकी मार्केट वैल्यू का दोगुना हमला करने वालों से वसूला जाएगा। 


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