अंतिम सफर बन रहा सुहाना
सांगानेर स्थित मोक्ष धाम सर्वसुविधायुक्त, दूर-दूर से आ रहे लोग
जस्ट टुडे
सांगानेर। जीवनभर परिवार और समाज की जिम्मेदारियां निभाते-निभाते जब आखिरी पड़ाव पर इनसान थककर चूर हो जाता है। तब वह चाहता है कि उसका अंतिम सफर सुहाना हो। लेकिन, प्रशासन की लापरवाही के चलते ज्यादातर जगह पर इनसान को अंतिम सफर यानी मोक्ष धाम में भी सुकून नसीब नहीं होता है। लेकिन, सांगानेर में शिकारपुरा रोड स्थित मोक्ष धाम असलियत में मोक्ष धाम है। मोक्ष धाम विकास समिति के साथ ही यहां के स्थानीय लोगों की मेहनत के बूते आज यह आदर्श मोक्ष धाम के रूप में विकसित है। समिति के प्रयासों से सांगानेर के भामाशाहों ने खुले हाथों से पैसा दिया और इसे आदर्श मोक्ष धाम बनाया। जस्ट टुडे की जुबानी जानिए आदर्श मोक्ष धाम की पूरी कहानी...
ऐसे बनी मोक्ष धाम विकास समिति
सांगानेर में पूर्व नगर निगम आयुक्त बच्चन लाल मेहरड़ा, कल्पना हैण्डमेड पेपर के मालिक और उद्योगपति रामप्रसाद सैनी तथा राज्य सेवा से रिटायर्ड पुरुषोत्तम नागर ने इस कार्य का सपना संजोया। इन समाजसेवियों ने 16 जून 2012 को विकास समिति का अस्थाई गठन किया। फिर 29 अप्रेल 2015 को इसे पंजीकृत कराया। 41 सदस्यों वाली इस समिति में अध्यक्ष रामप्रसाद सैनी, पुरुषोत्तम नागर मंत्री, बच्चन लाल मेहरड़ा को कोषाध्यक्ष बनाया गया।
भामाशाहों ने दिया दिल खोलकर
इस समिति ने सांगानेर के भामाशाहों से सम्पर्क किया। भामाशाहों ने भी इस नेक कार्य के लिए खुले दिल से मदद की और करीब 50 लाख रुपए एकत्रित कर लिए गए। इस रकम से मोक्ष धाम का भव्य प्रवेश द्वार, प्रतीक्षालय, महिला-पुरुषों के लिए स्नानगृह, शौचालय, गार्डन, शिवमंदिर मोक्ष धामेश्वर का निर्माण कराया गया। अभी कुछ कार्य शेष है, जिसके लिए लोगों से सहयोग की अपेक्षा है।
जनप्रतिनिधियों ने भी दिया साथ
इस मोक्ष धाम में जनप्रतिनिधियों ने भी खूब कार्य कराए हैं। पूर्व महापौर विष्णु लाटा ने हाईमास्ट लाइट लगवाईं हैं। साथ ही मोक्ष धाम की पश्चिमी एवं उत्तरी दीवार भी ऊंची कराई और एक ट्यूबबैल भी लगवाया। पूर्व विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने भी मोक्ष धाम की चारदीवारी और महिला स्नानगृह की दीवार ऊंची कराई और जालियां लगवाईं। पूर्व पार्षद नवरत्न नराणिया ने भी एक टीनशेड वाला शवदाह स्थल तैयार करवाया। जनता के साथ ही जनप्रतिनिधियों का साथ मिलने से यह मोक्ष धाम क्षेत्र का सर्वाधिक सुविधा युक्त बन गया है। अपने परिजनों का अंतिम सफर सुहाना बनाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर उन्हें मोक्ष देने लाते हैं।