अगले माह देश में ही बनेंगी रेपिड टेस्ट किट

केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड के बचने के लिए वैज्ञानिकों से तेजी से समाधान तलाशने को कहा


जस्ट टुडे
नई दिल्ली। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उसके स्वायत्त संस्थानों (एआई और उसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) बीआईआरएसी तथा बीआईबीसीओएल द्वारा कोविड संकट से निपटने के लिए विशेष रूप से वैक्सीन, तथा स्वेदशी रैपिड टेस्ट और आरटी-पीसीआर नैदानिक किट विकसित करने की दिशा में की गई विभिन्न पहलों की समीक्षा की।


फ्लू जैसा टीका जल्द होगा विकसित

डीबीटी की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि डीबीटी ने कोविड से निपटने के लिए तत्काल समाधान के साथ-साथ दीर्घकालिक तैयारियों के लिए एक बहु-आयामी अनुसंधान रणनीति और कार्य योजना तैयार की है। इस बहुपक्षीय प्रयासों में कोविड के लिए फ्लू जैसा टीका विकसित करने के साथ ही होस्ट और पैथोजन पर स्वदेशी डायग्नोस्टिक्स जीनोमिक अध्ययन शामिल है।

कोविड अनुसंधान कंसोर्टियम बनाने का सुझाव

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद् (बीआईआरएसी) ने डायग्नोस्टिक्स, टीके, नोवेल थैरेप्यूटिक्स, तथा दवाओं को अन्य तरह से इस्तेमाल या किसी और तरह के उपाय अपनाए जाने के लिए एक कोविड अनुसंधान कंसोर्टियम बनाए जाने की बात कही है।

9 अध्ययन प्रारम्भिक अवस्था में

डीबीटी वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के दौरान, केंद्रीय मंत्री को संभावित एंटीवायरल दवाएं विकसित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया गया। उन्हें यह जानकारी भी दी गई कि कोविड वायरस के संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर से किस तरह से प्रतिरोधक तत्वों को कोविड के इलाज में इस्तेमाल के लिए हासिल किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री को डीबीटी के एआईएस द्वारा कैंडिट वैक्सीन विकसित करने के अनुसंधानों की भी जानकारी दी गई। फिलहाल, इनमें से कम से कम 9 अध्ययन प्रारंभिक अवस्था में हैं।


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