कोरोना को देने मात, सांगानेर में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जाप

- गोपी नगर स्थित व्यास परिवार की ओर से की जा रहा है महाकाल की अराधना


गुलाब चंद कुमावत

जस्ट टुडे
जयपुर।
सांगानेर कोहिनूर सिनेमा के पास स्थित गोपी नगर में व्यास परिवार के तत्वावधान में कोरोना महामारी से मुक्ति पाने के लिए 21 दिनों से वैदिक मंत्रों का जाप किया जा रहा है। व्यास परिवार के पंडित सत्यनारायण व कैलाशचंद शर्मा ने बताया कि देश में कोरोना महामारी के चलते जनहानि हो रही है। ऐसे में परिवार के सभी सदस्यों के मन में विचार आया कि क्यों ना इस महामारी से बचाने के लिए शुक्ल यजुर्वेद में वर्णित त्री अक्षरी मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए। इसके बाद शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा रोजाना 21 दिनों से परिवार के 11 सदस्यों के द्वारा रोजाना सवा लाख त्री अक्षरी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर भगवान शंकर से परिवार, समाज एवं सभी देशवासियों को इस बीमारी से बचाने के लिए प्रार्थना की जा रही है।

वैदिक मंत्रों के उच्चारण से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

पंडित महेश शर्मा व अजय कुमार शर्मा ने बताया कि वैदिक मंत्रों का नियमित रूप से उच्चारण करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, साथ ही साइकोलॉजिकल समस्या का निदान भी होता है। क्योंकि, मंत्रों का उच्चारण भी एक निश्चित लय में ही किया जाता है। जिसमें वाणी में तनाव कम करने के साथ सांसों का क्रम नियमित होता है, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। प्रतिरोधक क्षमता से कोरोना महामारी को मात दी जा सकती है। 

मंत्रों के उच्चारण से मिलती है सकारात्मक ऊर्जा


पंडित राजेन्द्र शर्मा व जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि श्लोक, मंत्र का उच्चारण करते वक्त सांस की गति पर नियंत्रण होता है। इससे दिमाग अधिक सक्रियता से कार्य करने लगता है। मंत्रोच्चार से फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है। वैदिक मंत्रों का नियमित उच्चारण करने वाले बीमार भी कम होते हैं। कोरोना काल के दौरान लोगों में मानसिक समस्या बढ़ी है। आमजन भी यदि नियमित रूप से एक छोटे से मंत्र अथवा श्लोक का जाप करें तो उनमें न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा बल्कि वातावरण में बदलाव आने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।

तीन दिवसीय हवन के बाद समापन

पंडित हेमराज शर्मा व सुनील शर्मा ने बताया कि 21 दिन के मृत्युंजय जाप करने के बाद हवन कर पूर्णाहुति की गई। इस अवसर पर प्रथम दिन मृत्युंजय के 1100 मंत्रों की आहुति दी गई। दूसरे दिन नरसिंह जयंती के अवसर पर नृसिंह गायत्री जप एवं नृसिंह कवच के पाठ करने के बाद हवन किया गया। तीसरे दिन पीपल पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सत्यनारायण भगवान की कथा कर विष्णु भगवान की प्रसन्नता के लिए सवा लाख द्वादश अक्षर मंत्रों के जप करने के साथ हवन की पूर्णाहुति कर विष्णु भगवान से देश में सुख शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई।

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