आइसक्रीम स्टिक टेक्निक से होगा बोन कैंसर का उपचार
- इस तकनीक के जरिए तीन माह में हड्डी का जुड़ना है संभव
- रिकवरी में लगने वाला समय और उपचार का खर्च भी होगा कम
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जस्ट टुडे
जयपुर। आइसक्रीम स्टिक टेक्निक बोन कैंसर से जुझ रहे रोगियों के उपचार की नवीतम तकनीक के रूप में सामने आई है। इस तकनीक की सहायता से रोगी की कैंसर ग्रसित बोन को लिक्विड नाइट्रोजन की सहायता से कैंसर मुक्त करना संभव है।
यह सर्जरी भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑर्थोऑन्को सर्जन डॉ. प्रवीण गुप्ता, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ. सौमी एच. चौधरी की टीम की ओर से की गई है। इस सर्जरी में ईविंग सारकोमा (बोन कैंसर) से जुझ रहे 40 वर्षिय युवक के पांव की कैंसर ग्रसित बोन को बगैर शरीर से अलग किए उसे कैंसर मुक्त करने में सफलता हासिल की गई है।
ऐसे करती हैं काम
डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि बोन कैंसर के रोगियों में बोन को कैंसर मुक्त करने के लिए रेडिएशन दिया जाता है या उस बोन को निकालकर उसके स्थान पर आर्टिफिशल बोन को लगाया जाता है। इन दोनों टेक्निक से एडवांस है आइसक्रीम स्टिक टेक्निक। इसमें बोन के जिस हिस्से में कैंसर है उस के एक हिस्से पर कट लगाकर उसे बाहर की ओर घुमाकर 20 मिनट तक लिक्विड नाइट्रोजन में डूबोंकर रखा जाता है। इसका तापमान 160 °C होता है। इस तामपान की वजह से बोन में मौजूद कैंसर सेल पूरी तरह से खत्म हो जाते है। लिक्विड नाइट्रोजन से निकालने के 40 मिनट बाद उसके सामान्य तापमान में आने पर पुन जोड़ दिया जाता है।
25 फीसदी ही रह गया खर्च
इस तकनीक में मरीज को आर्टिफिशियल बोन की जगह खुद का ही बोन कैंसर मुक्त करके लगाया जाता हैं, जिसकी वजह से रोगी की रिकवरी भी तेजी से होती है। ऑपरेषन के दो दिन बाद मरीज चल-फिर सकता हैै। करीब तीन माह के पश्चात सामान्य व्यक्ति की तरह सभी कार्य करने में सक्षम होगा। इस तरह की कैंसर सर्जरी में जब बोन को रेडिएशन थैरेपी दी जाती है तो सर्जरी में 6 घंटे तक का समय लगता है वहीं इस तकनीक के जरिए महज 4 घंटे में सर्जरी की जाती है। यदि सर्जरी में आर्टिफिशल बोन (इम्प्लांट) का उपयोग होता हैं तो सर्जरी का खर्च 6 से 7 लाख रूपए आता है, वहीं इस तकनीक से मात्र 1.5 से 2 लाख खर्च में सर्जरी की जा सकती है।