इसलिए विदेशों तक पहुंची देश के नारियल तेल की धार

भारत अब मलेशिया, इंडोनेशिया एवं श्रीलंका को बेच रहा नारियल तेल...यूरोपीय देशों को भेज रहा सूखा नारियल


जस्ट टुडे
नई दिल्ली। देश ने नारियल की खेती में बहुत अधिक प्रगति की है। किसानों और विशेषज्ञों की कड़ी मेहनत के बाद देश अब नारियल के उत्पादन और उत्पादकता में अग्रणी बन गया है। इसी का नतीजा है कि मार्च 2017 तक देश नारियल तेल का आयाता करता था, लेकिन, अप्रेल 2017 से मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका को नारियल तेल का निर्यात कर रहा है। इतना ही नहीं भारत पहली दफा अमरीका और यूरोपीय देशों को बड़ी संख्या में शुष्क नारियल का निर्यात कर रहा है। वर्ष 2017-18 के दौरान 1602.38 करोड़ रुपए के नारियल का निर्यात किया गया, जबकि आयात केवल 259.70 करोड़ रुपए का ही हुआ था। 


नारियल खेती का हुआ फैलाव



विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2013-14 में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 10122 फलों की थी जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11516 फलों तक पहुंच गई। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का कहना है वर्ष 2010-14 के 9,561 हेक्टेयर की तुलना में वर्ष 2014-18 में 13,117 हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल लगाए गए। इसी की बदौलत भारत ने नारियल की खेती में अभूतपूर्व वृद्धि की है। वैज्ञानिक नारियल खेती विधि के जरिए नारियल उत्पादक राज्यों में पिछले चार वर्षों में 62,403 हेक्टेयर लगाया गया, वहीं वर्ष 2010-14 तक 36,477 हेक्टेयर था। ज्ञात हो कि नए क्षेत्रों में नारियल खेती का फैलाव हुआ है। 


10 साल पर भारी 4 साल की आमदनी



जानकारों का कहना है कि वर्ष 2014-18 के बीच 5115 नारियल उत्पादक समितियां, 430 नारियल उत्पादक फेडरेशन और 67 नारियल उत्पादक कम्पनियां गठित की गईं, जबकि वर्ष 2004-14 के दौरान यह संख्या क्रमश: 4467, 305 और 15 थी। खास बात यह है कि वर्ष 2004-14 यानी 10 वर्ष के दौरान नारियल से 3975 करोड़ रुपए की आय हुई थी। वहीं वर्ष 2014-18 में सिर्फ 4 साल के दौरान यह आय बढ़कर 6448 करोड़ रुपए हो गई। कौशल विकास कार्यक्रम 'फ्रेण्ड्स ऑफ कोकोनट ट्रीÓ के अंतर्गत 33,228 बेरोजगारों को प्रशिक्षण दिलाया गया, जबकि वर्ष 2004-14 तक यह संख्या 27,770 थी। 


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