इस बार जमकर बरसेंगे बदरा...पानी-पानी होगा कोरोना का खतरा
- भारतीय मौसम विभाग ने जारी किया मानसून का पूर्वानुमान
- केरल में एक जून को दस्तक देगा मानसून, चहुंओर होगी जमकर बारिश
- राजस्थान में जून के आखिरी सप्ताह में पहुंचकर करेगा सरोबार
- खरीफ की फसल के लिए अच्छी होगी बारिश
जस्ट टुडे
जयपुर। इस समय जहां देश में कोरोना की ही चर्चा हो रही है। ऐसे में बुधवार को एक अच्छी खबर भी आई। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य मानसून खेती और आर्थिक वृद्धि दर के लिए फायदेमंद होता है।
सांख्यिकीय गणना के आधार पर इस बार मानसून में 9 फीसदी की कमी बता रहा है, इसे आर्थिक मजबूती का शुभ शगुन माना जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. एम. मोहापात्रा ने बताया कि पहले चरण के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून जो कि जून से सितम्बर तक रहता है। इस दौरान पूरे देश में सामान्य (96-104 प्रतिशत) रहने का अनुमान है।
खरीफ की फसल के लिए फायदेमंद
भारतीय मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस बार देश के कोने-कोने में जमकर बारिश होगी। खरीफ की फसल के लिए ये बारिश काफी फायदेमंद रहेगी। ऐसे में किसानों को उनकी मेहनत का सुफल परिणाम भी दिखेगा। ऐसे में कोरोना से जो देश की अर्थव्यवस्था मंद हुई है, उसके फिर से गति पकडऩे की प्रबल संभावना दिख रही है। क्योंकि, खेती देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
25 जून को राजस्थान, जुलाई में पहुंचेगा जयपुर
इस बार मानसून के 1 जून को केरल पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद जून के प्रथम सप्ताह में पहले केरल के दक्षिणी सिरे तक पहुंचता है। उसके एक सप्ताह के बाद महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, झारखण्ड, बिहार और उत्तरप्रदेश के हिस्सों में पहुंचता है। राजस्थान की बात करें तो यह 20-25 जून के बीच पहुंचेगा। वहीं जयपुर में जुलाई के प्रथम सप्ताह में मानसून सामान्यतौर पर पहुंचता है। मानसून सितम्बर तक राजस्थान से पीछे हट जाता है।
दो चरणों में जारी होता है अनुमान
हर साल मौसम विभाग दीर्घावधि अनुमान दो चरणों में जारी करता है। पहला अनुमान अप्रैल तो दूसरा अनुमान जून में जारी किया जाता है। इसके लिए स्टेटिसटिकल एनसेंबल फोरकास्टिंग सिस्टम और ओशन एटमॉस्फिरिक मॉडलों की मदद ली जाती है।
इसलिए कहते हैं दक्षिण-पश्चिम मानसून
भारत में मानसून को दक्षिण-पश्चिम मानसून भी कहा जाता है। गर्मी के महीनों में अरब सागर में उथल-पुथल होने लगती है और मानसूनी हवा का निर्माण होता है। चूंकि, इसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर से होती है और केरल के तट इसके सम्पर्क में आते हैं, कन्याकुमारी के पास यह दो हिस्सों में बंट जाती है। एक हिस्सा अंडमान की तरफ होते हुए पूर्वोत्तर राज्यों की तरफ रुख कर लेता है।