चार दिन में बढ़े दस गुना श्रमिक, 62 हजार से हुए 6.08 लाख श्रमिक

जस्ट टुडे

जयपुर। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बुधवार को पंचायत समिति चाकसू, जिला जयपुर की ग्राम पंचायत कुम्हारियावास एवं तितरिया में मनरेगा के तहत चल रहे मॉडल तालाब निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। 

 


पायलट ने कार्यस्थल पर कार्यरत मनरेगा श्रमिकों द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु मास्क का उपयोग करने, साबुन से बार-बार हाथ धोने तथा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना किये जाने संबंधी उपायों का जायजा लिया तथा मौके पर उपस्थित मेट, सहायक अभियंता एवं विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि कार्यस्थल पर मेडिकल किट में साबुन की उपलब्धता तथा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नियमित रूप से सुनिश्चित की जाये।

 

मिला आर्थिक सम्बल 


उपमुख्यमंत्री ने कार्यरत श्रमिकों से मनरेगा कार्यों को प्रारम्भ किये जाने के सम्बन्ध में उनकी राय जानी। साथ ही लॉकडाउन की परिस्थिति में जहां अन्य आर्थिक गतिविधियां लगभग बंद है, ऎसे में उनकी आजीविका के लिए मनरेगा कार्यों की उपयोगिता के बारे में उनसे जानकारी ली। श्रमिकों ने श्री पायलट को बताया कि लॉकडाउन की स्थिति में मनरेगा कार्यों को प्रारम्भ किये जाने से उन्हें आर्थिक सम्बल मिला है। श्रमिकों ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति में मनरेगा ही ग्रामीण क्षेत्रों में आय का प्रमुख स्त्रोत है।


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा सम्बल


इस माह में 17 अप्रेल तक लॉकडाउन के कारण मात्र 62 हजार श्रमिक नियोजित हुए। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की उपयोगिता को दृष्टिगत् रखते हुए अधिकाधिक कार्य प्रारम्भ कर श्रमिकों के नियोजन पर जोर दिया गया जिससे मात्र चार दिन में ही श्रमिकों का नियोजन 62 हजार से बढ़कर 6.08 लाख से भी अधिक हो गया है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना के तहत काम मांगने हेतु लोगों को प्रेरित एवं जागरूक किया जाकर श्रमिकों के नियोजन के अधिकतम लक्ष्य को हासिल करने के प्रयास जारी है। मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत व्यक्तिगत लाभ के कार्यों में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में आवास निर्माण, केटलशेड निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट निर्माण, खेतों की मेडबंदी व समतलीकरण आदि कार्य शामिल है। प्रदेश में श्रमिकों के नियोजन हेतु इनको प्राथमिकता दी जायेगी जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की भी स्वतः ही पालना हो सकेगी। मनरेगा योजना के तहत मिलने वाली मजदूरी से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सम्बल मिलेगा।

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